कंटक चुनचुन पंथ बनाते फिर भी ना मिलता मधुशाला। कंटक चुनचुन पंथ बनाते फिर भी ना मिलता मधुशाला।
दहकती हुई धूप में तरुवर का साया है, माँ के आँचल में ब्रह्मांड समाया है, मरूस्थल सी दहकती हुई धूप में तरुवर का साया है, माँ के आँचल में ब्रह्मांड समाया है...
याद नहीं आतीतुम चली आती हो याद नहीं आतीतुम चली आती हो
जब कभी तनहाई महसूस होती है, याद आ जाती है उसकी, जिसके होने से जिंदगी का अहसास हुआ करत जब कभी तनहाई महसूस होती है, याद आ जाती है उसकी, जिसके होने से जिंदगी का अहसा...
सिसकियां इतनी बढ़ गई हैं सिसकियां इतनी बढ़ गई हैं